कोरोनावायरसकेफैलनेसेलगेलॉकडाउननेदुनियाऔरभारतमेंमानवजीवनऔरआजीविकाकोगंभीररूपसेप्रभावितकियाहै।हालांकि, लोगबेहतरभविष्यकीउम्मीदकेलिएसामाजिकदूरीकेमानदंडोंकापालनकररहेहैं, फिरभीविशेषज्ञोंकेअनुसारऐसीसंभावनाहैकिकुछबच्चेलॉकडाउनकेनिवारकउपायोंकेकारणबालश्रमकेशिकारहोसकतेहैं। विभिन्न अंतर-जुड़े कारक बाल श्रम को बढ़ावा देते हैं। बाल श्रम आवश्यकता का एक कारण और परिणाम दोनों ही है। गरीबी वह मूल कारण है जो बच्चों को पैसे कमाने के लिए किसी भी गतिविधि में शामिल होने के लिए मजबूर करता है। कुछ बच्चे पारिवारिक आय को बढ़ाने के लिए बाल श्रम करते हैं जबकि कई जीवित रहने के लिए।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन 2016 के आंकड़ों (ग्लोबल एस्टिमेट्स ऑफ चाइल्ड लेबर : रिजल्ट्स एंड ट्रेंड्स, 2012-2016) के अनुसार, यह दर्शाता है कि विश्व में 5-17 वर्ष के बीच के 152 मिलियन बाल श्रमिक हैं, जिनमें से 23.8 मिलियन बाल श्रमिक भारत में हैं, मतलब इस आयु वर्ग में 16% बाल श्रमिक (या प्रत्येक छठवें बाल श्रमिक) भारत में हैं। हालांकि, भारत में बाल श्रम से जुड़े कुल मामलों में कमी देखी गई है। 2001 और 2011 की जनगणना के आंकड़े विशेष रूप से 14 साल से कम उम्र के बच्चों के श्रम की कुल संख्या में भारी कमी को दर्शाते हैं। जनगणना आंकड़े के अनुसार, 5-14 आयु वर्ग के 1.26 करोड़ कामकाजी बच्चों की संख्या (2001) से घटकर 43.53 लाख (2011) हो गए हैं। हाल के दशकों के दौरान, भारत ने बाल श्रम की समस्या को दूर करने के लिए कई कानूनों और कार्यक्रमों को लागू किया है, जो 2001 और 2011 के बीच बाल श्रम मामलों की संख्या में कमी को दर्शाता है।
भारत सरकार ने महामारी के बाद से देशव्यापी स्कूल बंद करने की घोषणा की है। विशेषज्ञों के अनुसार यह बंद उन बच्चों को बुरी तरह प्रभावित किया है जो पहले से ही शिक्षा का लाभ नहीं ले रहे है। इस स्थिति ने अनेक कमजोर वर्ग के बच्चों को बाल श्रम में धकेल दिया है। एक सर्वे के दौरान एक बच्चे की माँ ने हमें स्कूल खुलवाने का आग्रह किया , उन्होंने कहा "स्कूल खुलवा दीजिये , बच्चे लोग दिन भर धमा चौकड़ी मचा रखते है " भारत में किसानों और खेतिहर मजदूरों के बच्चों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है। घर पर होने से उनके बच्चे खेतों में बुआई और कटाई के दौरान माता-पिता की मदद कर रहे है। कारखानों, खेती या अन्य काम काज में लगे दिहाड़ी मजदूर, पैसा कमाने में असमर्थ थे। उन्हें परिवार का पालन पोषण करने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। अपने माता-पिता की नौकरियों को खोने से, बच्चों को परिवार को चलाने के लिए काम करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार सामान्य स्थिति फिर से स्थापित होने के बाद भी बड़ी संख्या में बच्चे अपनी शिक्षा जारी नहीं रख सकेंगे और ऐसे स्कूली बच्चों में से एक बड़ी संख्या में बाल श्रम में लिप्त होने की एक उच्च संभावना है। उनके अनुसार हमारी विभिन्न श्रम कार्यो में बाल श्रम बहुत सस्ता है।
महामारी के कारण अनेक क्षेत्र में नौकरियों में तेजी से बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि और आर्थिक नुकसान हुआ है। इसलिए इन स्थितियों को दूर करने के लिए और कंपनियों द्वारा वित्तीय संकट को पूरा करने के लिए वे बच्चे को श्रम के रूप में शामिल कर सकते हैं। वे बच्चों को मजदूर के रूप में नियुक्त करके इसकी भरपाई करने की कोशिश कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चो का शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण की अधिक संभावना होगी। कम उम्र की लड़कियों को शादी करके वेश्यावृत्ति में बेच दिए जाने की भी आशंका है।
David Angel Makel
IT ConsultantIt is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content page looking at its layout point of using normal